कोरोना की दहशत - काव्यलहरी

डॉ.सुजीतकुमार टेटे

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Friday, March 20, 2020

कोरोना की दहशत

कितने सुहाने, बेखौफ होते थे बसंत के रंग.
मगर अब कोरोना की दहशत, और रंग में भंग.

जैसे कोरोना ना हुआ, आदमखोर कोई भुजंग.
सारा आनंद ले गया, ले गया हर उमंग.

सिद्धविनायक के कपाट, बम्लेश्वरी मेला भी बंद.
अब कहाँ वो भक्ति, कहाँ भक्त होंगे मलंग.

बहुत से और हुए विषाणु, अजब कोरोना का ढंग.
शादी, समारोह, स्कूल, दुकानें बंद, सब बेरंग.

कहाँ शक्तिशाली चीन, इटली अमेरिका, सब दंग.
एक सूक्ष्म जीव का इतना आतंक, इतना हुड़दंग.

बाप रे! अब अल्लाह ही बचाये, फिर लौटे जीवन तरंग.
सब से मिल सकें, काम सब चल पडे़, सब रहें संग.
फिर वही उल्लास, फिर बसंती रंग.










रचना: सुनील कुमार येडे़

No comments:

Post a Comment

ऑनलाइन शिक्षण - Future Investment !

  ऑनलाइन शिक्षण -  Future Investment ! शब्दांकन - प्राचार्य डॉ. सुजित टेटे  जर कोरोना  संपलाच नाही तर ?  जर शाळा २-३ वर्षे उघडल्याच नाही तर ...

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages